रांची में हर व्यक्ति की डिटेल की जाएगी तैयार, थाने में बनेगी लिस्ट

झारखंड की राजधानी रांची से आतंकी होने के आरोप में छह लोगों को पकड़ा गया है। इसे देखते हुए पुलिस के द्वारा राजधानी में रहने वाले हर एक व्यक्ति का सत्यापन किया जाएगा और उसका डिटेल थाना में होगा। मोहल्ले के हिसाब से लिस्ट तैयार होगी और पुलिस को इसकी जानकारी होगी कि कौन व्यक्ति कहां रहता है और क्या काम करता है।

जिला के सभी थानेदारों को आदेश दिया गया है कि बीट पेट्रोलिंग के लिए अलग से जवानों को लगाया जाए। जवानों का यह काम होगा कि उन्हें अपने थाना क्षेत्र में अलग अलग मोहल्ले की जिम्मेदारी दी जाएगी। जवान मोहल्ले में जाकर हर घर में रहने वाले लोगों का डिटेल लेंगे और लिस्ट तैयार कर उसे थाना में रखेंगे। इसकी पूरी मानिटरिंग डीएसपी स्तर के अधिकारी करेंगे।

इसके अलावा सभी मकान मालिकों को आदेश दिया गया है कि किराएदार के रूप में वह जिसे भी रख रहें हैं उनका सत्यापन पहले पुलिस से करा लें। इसके बाद उन्हें अपना घर दें। बिना सत्यापन के अगर कोई मकान मालिक अपना घर देता है तो पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई करेगी।

Advertisement

घटना के बाद जागती है पुलिस फिर हो जाती है सुस्त

राजधानी में जब जब आतंकी पकड़े जाते हैं तो वरीय अधिकारी नए नए आदेश निकालते हैं। कुछ दिनों तक आदेश का पालन होता है इसके बाद फिर पुलिस सुस्त पड़ जाती है। सिठियो में आंतकी जब पकड़े गए थे और हिंदपीढ़ी इलाके में लाज में विस्फोटक सामान मिला था तब भी पुलिस ने कई तरह के आदेश निकला था। लाज में रहने वाले लोगों का सत्यापन करना था।

लेकिन स्थिति यह है कि राजधानी में लाज में रहने वाले लोगों का सत्यापन करना तो दूर पुलिस को इस बात की जानकारी भी नहीं है कि कितने लाज हैं। इसके संचालक कौन कौन हैं। राजधानी के हर इलाके में लाज है लेकिन पुलिस के पास इसका कोई लिस्ट नहीं है।

जांच एजेंसी खुलासा करती है तब पुलिस को मिलती है जानकारी

राजधानी में जांच एजेंसी जब खुलासा करती है कि उनके द्वारा आतंकी पकड़े गए हैं तब पुलिस सक्रिय होती है। इससे पहले पुलिस को कोई जानकारी नहीं रहती है। पुलिस की सूचना तंत्र फेल हो गई है। सूचना तंत्र ठीक करने के लिए पुलिस के वरीय अधिकारियों के द्वारा कई तरह का पहल किया गया था लेकिन एक का भी पालन नहीं पाया।

इसकी हुई थी शुरुआत लेकिन नतीजा जीरो

पुलिस आपके द्वार: इसमें पुलिस को मोहल्ले में जाकर बैठक करना था। लोगों को जोड़ना था। मोहल्ले में जाकर लोगों की समस्या दूर करनी थी। इससे पुलिस और आम जनता की बीच की दूरी कम होती। लेकिन कुछ दिनों तक ऐसा चला और फिर बंद हो गया।

लेटर बाक्स: जिला के सभी थानों में एक लेटर बाक्स लगाना था। ताकि किसी को कई गोपनिय सूचना देनी हो तो वह लेटर बाक्स के माध्यम से दे सके। लेकिन एक भी लेटर बाक्स नहीं लगा।
बीट पेट्रोलिंग: इसमें पुलिसकर्मियों को मोहल्ले में जाकर लोगों का डिटेल रखना था। ताकि किसी भी व्यक्ति के बारे में कोई सूचना मिले तो उसके बोर में पुलिस को पहले से जानकारी हो। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
वाट्सएप ग्रुप बनाना था: थाना की पुलिस को अपने क्षेत्र में अलग अलग मोहल्ले में जाकर वाट्सएप ग्रुप बनाना था ताकि लोगों को जोड़ा जा सके। लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया और सूचना तंत्र कमजोर हो गया।

Spread the love
Add a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement