छत्तीसगढ़ में लंबित आरक्षण बिल पर एक बार फिर राजनीति गरमाने के आसार हैं. सीएम भूपेश बघेल ने राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने दो टूक कहा है कि राज्यपाल या तो बिल को लौटा दें या दस्तखत करें. राज्यपाल को युवाओं के जीवन को खतरे में डालने या उनका भविष्य अंधकार में करने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए.
राजधानी रायपुर में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण अर्पित करने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए सीएम बघेल ने कहा, जितने भी गैर भाजपा शासित राज्य हैं, वहां राज्यपाल की भूमिका की समीक्षा होनी चाहिए. आखिर किसी चीज को कितने दिन तक रोका जा सकता है. ऐसा बिल (विधेयक) जो सीधे जनता से जुड़ा हुआ नहीं है, उसे रोक कर रखे हैं तो समझ आता है. कॉन्करेंट लिस्ट (संयुक्त सूची) में है, उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाना है तो एक अलग बात है. आरक्षण तो राज्य का विषय है. उसे राज्यपाल चार-पांच महीने तक रोककर बैठें, तो यहां के जो छात्र छात्राएं हैं, यहां के नौजवान युवक-युवती हैं, जिन्हें एडमिशन लेना है और नौकरी में भी भर्ती होना है, उसको यदि रोका जाता है तो निश्चित रूप से समीक्षा होनी चाहिए कि आखिर किसी बिल को कितने दिन तक रोका जा सकता है? राज्यपाल या तो लौटा दें या हस्ताक्षर करें. ये रोकने का काम क्या है ? राज्यपाल को क्या इतना अधिकार है कि प्रदेश के युवाओं के जीवन को खतरे में डाल दें, भविष्य अंधकार में कर दें. ये अधिकार नहीं मिलना चाहिए किसी को.
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आरक्षण बिल :राज्यपाल लौटा दें या हस्ताक्षर करें सीएम भूपेश, कहा- युवाओं का भविष्य अंधकार में धकेलने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए…!
- by thetimesnews24x7
- April 14, 2023
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